Philosophy Shayari In Hindi

उठो अब ए गौतम समाधि को छोडो !

उतर आओ ईसा सलीबों को तोड़ो

अब आओ मोहम्मद कहो फिर से कुरआं

के फिर से मोहब्बत को भूली है इंसा

अब आओ ए नानक निगहबान बन कर

चले आओ अब तो हिमालय से शंकर

की फिर ज़हर क़ो इस ज़मीं से मिटाओ

ओ पीरों फ़क़ीरों सभी लौट आओ

अब इक साथ सबको मोहब्बत सिखाओ।

हे माधव! अभी मत बंसी बाजओ,

अभी सर्फ हमको ये हासिल नहीं है,

उठो हमसफ़ीरों ये मंजिल नहीं है,

मुकेश आलम
philosophy

रूप की धूप कहाँ जाती है मालूम नहीं

शाम किस तरह उतर आती है रुख़्सारों पर

इरफ़ान सिद्दीक़ी
philosophy

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

ख़ुद से मिलना मिरा इक शख़्स के खोने से हुआ

मुसव्विर सब्ज़वारी
philosophy

ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़'

रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़

अहमद फ़राज़
philosophy

रूप की धूप कहाँ जाती है मालूम नहीं

शाम किस तरह उतर आती है रुख़्सारों पर

इरफ़ान सिद्दीक़ी
philosophy

धोका है इक फ़रेब है मंज़िल का हर ख़याल

सच पूछिए तो सारा सफ़र वापसी का है

राजेश रेड्डी
philosophy

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में

अल्लामा इक़बाल
philosophy

गर जोश पे टुक आया दरियाव तबीअत का

हम तुम को दिखा देंगे फैलाव तबीअत का

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
philosophy

ऐसी तारीकियाँ आँखों में बसी हैं कि 'फ़राज़'

रात तो रात है हम दिन को जलाते हैं चराग़

अहमद फ़राज़
philosophy

मुझे तो लगता है जैसे ये काएनात तमाम

है बाज़गश्त यक़ीनन सदा किसी की नहीं

अदील ज़ैदी
philosophy

न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम

रहा ये वहम कि हम हैं सो वो भी क्या मालूम

फ़ानी बदायुनी
philosophy

लम्हों के अज़ाब सह रहा हूँ

मैं अपने वजूद की सज़ा हूँ

अतहर नफ़ीस
philosophy

बुतों को पूजने वालों को क्यूँ इल्ज़ाम देते हो

डरो उस से कि जिस ने उन को इस क़ाबिल बनाया है

मख़मूर सईदी
philosophy

जाने कितने लोग शामिल थे मिरी तख़्लीक़ में

मैं तो बस अल्फ़ाज़ में था शाएरी में कौन था

भारत भूषण पन्त
philosophy

मैं भी यहाँ हूँ इस की शहादत में किस को लाऊँ

मुश्किल ये है कि आप हूँ अपनी नज़ीर मैं

फ़रहत एहसास
philosophy

किसी के काम न आये तो आदमी क्या है?

जो अपनी फ़िक्र में गुज़रे वो ज़िंदगी क्या है?

असर लखनवी
philosophy

इंसान हो किसी भी सदी का कहीं का हो

ये जब उठा ज़मीर की आवाज़ से उठा

उबैदुल्लाह अलीम
philosophy

जो दर्द मे वाकिफ़ हैं वो ख़ूब समझते हैं

राहत में तुझे खोया तकलीफ़ में पाया है

असर लखनवी
philosophy

करते फिरते हो अँधेरे की शिकायत 'दर्शन'

दिल की दुनिया में कोई दीप जलाओ तो सही

दर्शन सिंह
philosophy

आपका मक़सद पुराना है मगर ख़ंजर नया

मेरी मजबूरी है यह, लाऊं कहां से सर नया

कृष्णानंद चौबे
philosophy

लाख बेजान सही उसका भी मन दुखता है

खून नाहक हो तो ख़ंजर का बदन दुखता है

'पारस' बहराइची
philosophy

हर वक़्त खिलते फूल की जानिब तका न कर

मुरझा के पत्तियों को बिखरते हुए भी देख

मोहम्मद अल्वी
philosophy

तिरे वजूद में कुछ है जो इस ज़मीं का नहीं

तिरे ख़याल की रंगत भी आसमानी है

अभिषेक शुक्ला
philosophy
पृष्ठ 1 / 1